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कहौ चंद, दंपति-कुसलात
कहौ चंद, दंपति-कुसलात।मम जीवन-धन प्रान-पियारे, दंपति कौन कुंज बिलसात॥
ललितमाधुरी
ब्रज में गोकुल-चंद बिराजैं
ब्रज में गोकुल-चंद बिराजैं।नन्ही-नन्ही बूंदनि बरसन लाग्यौ मंद-मंद घन गाजै॥
कुंभनदास
बसौ मेरे नैननि में दोऊ चंद
बसौ मेरे नैननि में दोऊ चंद।गौरबरनि वृषभानु-नंदनी, स्यामवरन नंद-नंद।
श्रीभट्ट
सरद बिमल, नभ चंद बिराजै
सरद बिमल, नभ चंद बिराजै। मधुर मधुर मुरली कल बाजै।अति राजत घनस्याम-तमाला। कंचन-बेलि बनी ब्रज-बाला॥
हितहरिवंश
है है उर्दू हाय
है है उर्दू हाय। कहां सिधारी हाय-हाय॥मेरी प्यारी हाय हाय। मुंशी मुल्ला हाय-हाय॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ब्रज पर स्याम घटा झर लाई
ब्रज पर स्याम घटा झर लाई।नंद जू कौ लाल सलौनौ-सो ढोटा ता-पर इंद्र चढि धाई॥
कुंभनदास
मोर-मुकुट झलमलै सीस पर
मोर-मुकुट झलमलै सीस पर, कलगी सुघर सँवारी है।कटि कछिन रौरी बपु नटवर, पग नूपुर-धुनि प्यारी है॥
ललितमाधुरी
तुझ पर बारी हो अणघड़िया देवा
तुझ पर बारी हो अणघड़िया देवा।घड़ी मूरत कूँ सब कोई सेवै, ताहि न जाणैं भेवा॥
गोरखनाथ
तुव मुख चंद चकोर ये नैना
तुव मुख चंद चकोर ये नैना।अति आरत अनुरागी, लंपट, भूलि गई गति, पलहुँ लगै ना॥
भगवत रसिक
घाट पर ठाढ़े श्री मदन गोपाल
घाट पर ठाढ़े श्री मदन गोपाल।कौन जुगती कर भरों जमुना चल पर्यो हमारे ख्याल॥
परमानंद दास
मज्जन करत गोपाल चौकी पर
मज्जन करत गोपाल चौकी पर।अति ही सुगंध फुलेल उबटनौ, विविध भांति सब सौंज, निकट धर॥