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कोई दिलवर की डगर बता दे रे
कोई दिलवर की डगर बता दे रे।लोचन कंज कुटिल भृकुटि कच, काननन कथा सुना दे रे॥
ललितकिशोरी
लरिकाई को प्रेम कहौ अलि
लरिकाई को प्रेम, कहौ अलि, कैसे करिकै छूटत?कहा कहौं ब्रजनाथ-चरित अब अंतरगति यों लूटत॥
सूरदास
कैसे बोलौं पंडिता, देव कौनैं ठांई
कैसे बोलौं पंडिता, देव कौनैं ठांई।निज तत निहारतां, अम्हें तुम्हें नाहीं॥
गोरखनाथ
प्रेम-समुद्र रूप-रसि गहिरे
प्रेम-समुद्र रूप-रसि गहिरे, कैसे लागै घाट।बेकार्यो दै जानि कहावत, जानिपनो की कहा परी बाट॥
स्वामी हरिदास
कैसे जल जाऊ मै पनघट जाऊँ
कैसे जल जाऊ मै पनघट जाऊँ।होरी खेलत नन्द लाड़िलो क्यों कर निबहन पाऊं।
रसिकबिहारी
थान दे गोरिए बाला
थान दे गोरिए बाला, भाई बिन प्याले प्याला जी।गियांन की हाल्हीला पालंखू, गोरख बाला पौढ़ीला जी॥
गोरखनाथ
कहो मैया कैसे सुख पाउँ
भालण
भंवरगीत (ब्रजबालाओं का प्रेम)
सुनत स्याम कौ नाम बाम गृह की सुधि भूली।भरि आनंद रस हृदय प्रेम बेली द्रुम फूली॥
नंददास
हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ
हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ।साराँ देखे लाज मराँ छाँ आवाँ किण जतनाँ॥
रसिकबिहारी
तनक कनक को दोहनी दे री मैया
तनक कनक को दोहनी दे री मैया।तात मोहि सिखवन कह्यौ दुहन धौरी गैया॥
परमानंद दास
गुनवा एको नहीं, कैसे मनैबो सैयां
गुनवा एको नहीं, कैसे मनैबो सैयां।गहरी नदिया नाव पुरानी, भइ गइले सांझ समझया॥
संत शिवनारायण
श्रीराधे रानी दे डारो बाँसुरी मोरी
श्रीराधे रानी दे डारो बाँसुरी मोरी।जा बंसी में मेरी प्राण बसत है, सो बंसी गई चोरी॥
मीरा
धनुष बान लिये डाढ़
झिर झिर बहै बयार, प्रेम रस डोलै हो।चढ़ि नौरँगिया की डार, कोइलिया बोलै हो॥
धनी धरमदास
अब कैसे छुटै राम रट लागी
अब कैसे छुटै राम रट लागी॥टेक॥प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग−अंग बास समानी।
रैदास
लाल! तुम कैसे चराईं गाइ
लाल! तुम कैसे चराईं गाइ।ग्वालन संग छैया में बैठे, कौन विपिन में जाइ॥
गोस्वामी हरिराय
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे।मैं कहता हौं आँखिन देखी, तू कहता कागद की लेखी।