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ये बाँसुरिया वारे ऐसो जिन बतरायरे
ये बाँसुरिया वारे ऐसो जिन बतरायरे।यों बोलिये, अरे घर बसे लाजनि दबि गई हायरे।
रसिकबिहारी
हो घनस्याँम, भरौ जिन मो तन
हो घनस्याँम, भरौ जिन मो तन, चोबा छिरकन भोरे ही।अपने रंग मिलायौ चाँहत, सहत नाहिं कहु गोरे ही॥
रूप रसिक
लखी जिन लाल की मुसक्यान
लखी जिन लाल की मुसक्यान।तिनहिं बिसरी वेद-बिधि, जप, जोग, संयम, ध्यान॥
भगवत रसिक
जिण गुरुनै सिंवर ओ प्राणी
जिण गुरुनै सिंवर ओ प्राणी, जिण आ सिस्ट उपाई।ओंकारे आप उपन्ना, जळ सूं जोत सुवाई।
जसनाथ
चतुरंग चमू अति छबि विराज
पखरैत किते हय पै सवार, जिन जिरह टोप आवै अपार।राज अनंत सौंवत सुढंग, कर गहें चाप कटि कसि निषंग॥
सुंदरी कुंवरी बाई
जे जन विपति कसौटी पावें
जे जन विपति कसौटी पावें।सत्रु मित्र सम स्वजन विराने, सबै परख में आवें॥
रत्नावली
ब्रज जन अति आधीन दुखारे
ब्रज जन अति आधीन दुखारे।कहियो पथिक संदेस सुरति करि जहं हैं नंद-दुलारे॥
चतुर्भुजदास
अवधपुरी घुमड़ि घटा रही छाय
अवधपुरी घुमड़ि घटा रही छाय।चलत सुमंद पवन पुरवाई नभ घन घोर मचाय॥
प्रताप कुंवरि बाई
श्री वल्लभनंदन की बलि जाऊं
बामन रूप छल्यौ बलि राजा, तिनहि चरन चित लाऊं।छीतस्वामी गिरिधर श्री विट्ठल, कहियत जिन कौ नाऊं॥
छीतस्वामी
जे जे जन बिछुरे प्रभु तें
जे जे जन बिछुरे प्रभु तें, ते अभयदान करन।कासी में प्रभु पत्राबलंवन, कीनौ माया मत हरन॥
छीतस्वामी
बलि जैहों श्री रसिकाचारज
बलि जैहों श्री रसिकाचारज।नित बिहार उद्धार कियो जिन, मथिकै हृदय-सिंधु वर बारज॥
भगवत रसिक
हमारे मदन गोपाल हैं राम
परमानंद दास
ओ म्हारा मनड़ेरा ठाकुर
नेह नगर अटकै कोई वो, पावै परम रसाल॥बिरख भाणरी बाई लाडली, बाबा नंदजी रा लाल।