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कान्ह कुंवर के कर पल्लव
नंददास
राम बाम कर सुमन गिर्यौ
राम बाम कर सुमन गिर्यौ धोखे सों भूतल।रह्यौ न पूजा योग लेन पुनि लगे फूल दल॥
बनादास
जै-जै कर पूजौं धौलागढ़ की रानी नैं
जै-जै कर पूजौं धौलागढ़ की रानी नैं।पान-सुपारी-धुजा-नारियल पहिलैं भेट भवानी नैं॥
तानसेन
जसोदा, तेरे भाग्य की कही न जाय
जसोदा, तेरे भाग्य की कही न जाय।जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ सो प्रगटे हैं आय॥
परमानंद दास
पवन-पान कर रहे महीनों
पवन-पान कर रहे महीनों, अली अन्न नहिं भावैं हैं।पानी पियें न सोवैं निसि-दिन, बैठि समाधि लगावैं हैं॥
ललितकिशोरी
कर मन, नंदनंदन कौं ध्यान
कर मन, नंदनंदन कौं ध्यान।यहि अवसर तोहिं फिरि न मिलैगो, मेरो कह्यौ अब मान॥
नारायण स्वामी
प्रीति न काहु कि कानि बिचारै
प्रीति न काहु कि कानि बिचारै॥मारग अपमारग विथकित मन, को अनुसरत निबारै॥
हितहरिवंश
लीन्हें कर बीन ललित
लीन्हें कर बीन ललित, लाड़िली जगावैं।प्रेम पुलकि अंग-अंग, दरस सरस अति उमंग;
अलबेलीअलि
पाघ न बांधां पिलंग न पोढ़ां
पाघ न बांधां पिलंग न पोढ़ां, इण खोटै संसारूं।अंजन छोड निरंजन ध्यावां, हुय ध्यावां हुसियारूं।
जसनाथ
अब न सतावौ
होरी-सी जातीय प्रेम की फूँकि न धूरि उड़ावौ।जुग कर-जोरि यही ‘सत' माँगत, अलग न और लगावौ॥
सत्यनारायण कविरत्न
हम मौजी हैं अपने मन के
हम मौजी हैं अपने मन के, मनचाहै तहँ जावैं हैं।बैठि इकंत ध्यान धरि दिलवर कंद मूल-फल खावैं हैं॥
ललितकिशोरी
स्यामाजू के सरन जे सुख न सिराने
सींचत अंड आम की आसा फूल फलै न पिछाने।दरसत परसत खात न जानत आँखि अछत अँधराने॥
बिहारिनिदेव
महमद महमद न कर काजी
महमद महमद न कर काजी, महमद को तो विषम विचारूँ।महमद हाथ करद जो होती, लोहै घड़ी न सारूँ॥