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कबहू देख हौं इन नैननु
वृंदावन बिहार दिन-दिन प्रति गोप वृंद संग लैननु।हंसि हंसि हरखि पतौवन पावन बांटि बांटि पय फेननु॥
कुंभनदास
मानिनी ऐतो मान न कीजे
मानिनी ऐतो मान न कीजे।ये जोबन अंजलि की जल ज्यो जब गोपाल मांगे तब दीजै॥