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इन में क्या लीजै क्या दीजै
इन में क्या लीजै क्या दीजै, जनम अमोलिक छीजै॥सोवत सुपना होई, जागे थैं नहिं कोई।
दादू दयाल
क्या करना है संतति-संपति
क्या करना है संतति-संपति, मिथ्या सब जग-माया है।शाल-दुशाले, हीरा-मोती में मन क्यों भरमाया है॥
ललितकिशोरी
क्या तुम देखते हो बाज़ीगिरी का तमाशा
क्या तुम देखते हो बाज़ीगिरी का तमाशा।हाथी घोड़े माल कबीला, कोई न किसका साथी।
मध्व मुनीश्वर
है है उर्दू हाय
है है उर्दू हाय। कहां सिधारी हाय-हाय॥मेरी प्यारी हाय हाय। मुंशी मुल्ला हाय-हाय॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
आज गोकुल में बजत बधाई
आज लाला को जनम द्योस है मंगलचार सुहाई।परमानंददास को जीवन तीन लोक सचुपाई॥
परमानंद दास
गोबिंद गोबिंद गोबिंद संगि
रबिदासु ढुवंता ढोरनी, तिन्हि तिआगी माइआ।परगटु होआ साथसंगि, हरि दरसनु पाइआ॥
धन्ना भगत
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे।मैं कहता हौं आँखिन देखी, तू कहता कागद की लेखी।
कबीर
आज दिवस लेऊं बलिहारा
क्या करै अरु अरथ विचारै, आप तरैं औरनि कौ तारैं।कहै रैदास मिलैं निज दास, जनम जनम कै काटैं पास॥
रैदास
बैठे घनश्याम सुंदर खेवत है नाव
बैठे घनश्याम सुंदर खेवत है नाव।आज सखी मोहन संग खेलवे को दाव॥
परमानंद दास
मुँह से राम हय जी
मुँह से राम हय जी, उन घर क्या कम हय जी॥भजन पूजन तो कछु नहिं जाने, अजब करत है दुनिया।
मध्व मुनीश्वर
हरि ही बुलावो भोजन करन
आज दूध रंधन अधिकाई सुन ले कुंवर कन्हाइ।परमानंद प्रभुबल समेत तुम बेण चलो उठ धाइ॥
परमानंद दास
सिया राम हिय मध्य
सिया राम हिय मध्य राम सिय के उर माहीं।थप्यो पुष्ट तेहि काल तुष्ट भयो आयो दोउ पाहीं॥
बनादास
आज नाथ एक बर्त्त माँहि सुख लागत है
आज नाथ एक बर्त्त माँहि सुख लागत हे।तोहें सिव धरि नट वेष कि डमरू बजाएब हे॥