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बांट बांट सबहिन कों देत
बांट बांट सबहिन कों देत।ऐसे ग्वाल रहे जो भामते सेस रहत सोई आपुन लेत॥
परमानंद दास
मुवा सकल जग देखिया
मुवा सकल जग देखिया, मैं तो जियत न देखा कोय हो।मुवा मुई को ब्याहता रे, मुवा ब्याह कर देय।
मलूकदास
श्री सरस्वती वंदना
राष्ट्र हित एकता कों, बुद्धि की बिबेकता कों,जग-जन जीवन में नेकता उभारती।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
तू आदि भवानी जग जानी सर्वानी
तू आदि भवानी जग जानी सर्वानी, सर्व कला दै विद्या बरदानी।अंबे जगदंबे असुरसंहारनी तरनतारनी,
बैजू
तुम बिनु सब जग मोहिं अँधेरो
तुम बिनु सब जग मोहिं अँधेरो।निसि दिन जगत चंद रवि ऊगत, घर-घर दीप उजेरो॥
रत्नावली
खेलन कौं धौरी अकुलानी
खेलन कौं धौरी अकुलानी।डाढ मेलि आतुर सरसुख व्है स्याम सुंदर की सुनि मृदुबानी॥
चतुर्भुजदास
भोजन कों बोलत महतारी
भोजन कों बोलत महतारी।बल समेत आओ मेरे मोहन बैठे हैं नंद परोसी हैं थारी॥
परमानंद दास
उपरना श्याम तमाल कों
उपरना श्याम तमाल कों।कीधों कहां लयो बृज सुंदरी ललित त्रिभंगी लाल कों॥
परमानंद दास
निर्गुन कौन देस को वासी
निर्गुन कौन देस को बासी?मधुकर! हँसि समुझाय, सौंह दै बूझति, साँच, न हाँसी॥
सूरदास
राधिका स्याम सुंदर कौं प्यारी
राधिका स्याम सुंदर कौं प्यारी।नख-सिख अंग अनूप बिराजित, कोटि चंद दुति नारी॥