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सिया राम हिय मध्य
सिया राम हिय मध्य राम सिय के उर माहीं।थप्यो पुष्ट तेहि काल तुष्ट भयो आयो दोउ पाहीं॥
बनादास
केते दिन भये रैनि सुख सोये
केते दिन भये रैनि सुख सोये।कछु न सुहाई गोपालहि बिछुरे रहे पूंजी सो खोये॥
परमानंद दास
आज बने राम सिया सुंदर
आज बने राम सिया सुंदर सुघर बर रस के रसिक रसदान।रस की प्रवीण लिये बीन नवीन सिया पिया रस पुलकि ले तान॥