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षरज कहाँ से, रिषभ कहाँ से
गोपाल
इंदु से बदन, नैन खंजन से
इंदु से बदन, नैन खंजन से, कंठ कोकिल बचन सुहाई।नासा कीर, अधर विद्रुम, दाड़िम दसन दमकाई॥
तानसेन
रस रे निर्गुन राग से
रस रे निर्गुन राग से, गावै कोइ जाग्रत जोगी।अलग रहै संसार से, सो इस रस का भोगी॥
मलूकदास
लागी हो गोविंदा से पिरती
लागी हो गोविंदा से पिरती।हृदय कमल में जब तक देखूं, परम सुंदर भरी श्याम की मूरती॥
केशवस्वामी
अब दिन रात्रि पहार से भये
अब दिन रात्रि पहार से भये।तब ते निघटत नाहिनि जब ते हरि मधुपुरी गये।
कुंभनदास
हम तुम पिया एक से दोऊ
हम तुम पिया एक से दोऊ।मानौ बिलग न नेक सांवरे घट बढ़िकै नहिं कोऊ॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
मुँह से राम हय जी
मुँह से राम हय जी, उन घर क्या कम हय जी॥भजन पूजन तो कछु नहिं जाने, अजब करत है दुनिया।
मध्व मुनीश्वर
'ब्राह्मण' पत्र की पाठकों से अपील (दो)
हँसी खुशी से रुपया देव, दूध पूत सब हमसे लेव॥काशी पुन्नि गया माँ पुन्नि, बाबा बैजनाथ माँ पुन्नि॥
प्रतापनारायण मिश्र
सदा ही नांव धणी से लीजे
सदा ही नांव धणी रो लीजे, किसड़ी वार सुवारो।नांव लियां भो पातक भाजै (झड़सी), सो कांई नांव विसारो।
जसनाथ
श्रीराधे रानी दे डारो बाँसुरी मोरी
मीरा
पद-64
बिल से, सरपत से, गोंइठे से निकले ब्याल करालझाड़-फूँक-इंजेक्शन का इस साल विशाल अकाल
अष्टभुजा शुक्ल
जगमग सिय मंडप में मंगल मचि
सियतन पावन उज्ज्वल गंग तरंग से।तिनको मज्जन केवल जन की उमंग से॥