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गान कर रही है पृथ्वी
फूलों से अंजलि भर, निर्मल नयन उठाएगान कर रही है पृथ्वी मृदु-मंद स्वरों में।
चंद्रकुँवर बर्त्वाल
विप्लव गान
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए!एक हिलोर इधर से आए, एक हिलोर उधर से आए,