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मैंने उसको देखा है...
देख न सकतीं आँखें जिसको मैंने उसको देखा है।दिखा रहा जो सब में ख़ुद को मैंने उसको देखा है॥
ज्ञानराज माणिकप्रभु
तोहरी नानी के हाँड़े मा
तू बदला दिन मा पाँच सूट हम ढाँकी लाज कछाड़े मा।तोहरी नानी के हाँड़े मा।
आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'
अपने दुख मा ना दुखी केहू
अँगने मा बाटइ कटाजुज्झ, पटकी कै पटका हाता मा।जेहका देखा निरदोस 'अनुज', सब ढूँढ़य दोस विधाता मा।
अनुज नागेंद्र
जियरा साँसत मा परा
जब उमिर ढली होइगें बिमार,मड़ही मा टुटही खाट लेहेन।बेटवन से कहेन कि चेता तौ, सब पारी-पारी डाटि लेहेन।
अनुज नागेंद्र
दैजा कै मारी कलझि –कलझि पंडित कै परबतिया मरिगै
गीता गायत्री कै धरती, यहि दया धरम की माटी मा,तप जोग साधना के मंदिर केसर की गमकत घाटी मा,
आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'
कटरी की रुकुमिनी और उसकी माता की खंडित गद्यकथा
सपने देखने की बूढ़ी की आदत नहीं गई।उसकी तमन्ना ही रह गई :
वीरेन डंगवाल
महिला पुलिस और उसकी बहन
हमसे कहा जाता है कि जहाँ कहीं भी महिलाएँतोड़फोड़ और बग़ावत पर आमादा हों