परिणाम "THE EXODITE ऑनलाइन विनामूल्य पहा"
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आते थे, जाते थे।कभी वे लौट भी आते थे।
ब्राह्मण थे, पुरोहित थे, राजा थे?वह शूद्र थे, अछूत थे।
कौन थे वे!जो अपनी संवेदनाओं में अद्वितीय थे
उस दिनमज़दूर निहार रहे थे
सब चाहते थेकि वे ख़ुद तो बोलें
नमस्कार थे पुरस्कार थेशब्दों के मीना बजार थे
जब तुम नाराज़ हुए थे मुझसेलगने लगा था जैसे
उसी तरहजिस तरह बुद्ध निकले थे
श्मशान गुलज़ार थेघर दहल रहे थे
हम क्रांतिकारी नहीं थेहम सिर्फ़ अस्थिर थे
सुन लेते थेकितने अच्छे थे वे दिन
वे पूछते नहीं थे सवालचूँकि वे सवाल करना जानते नहीं थे
दूर से वे बस झुंड लगते थेग़ौर से देखने पर ही पूरे मनुष्य दिखते थे
पिता परदेस थेईजा थी मुलुक!
एक-एक कर मर रहे थे पशु-जानवर,और जो मित्र थे उनकी भी आँखें बदलने लगी थीं।
वे कैसे दिन थेजो रहे नहीं।
तुम जो थे,तो थी धूप, तो थी चाँदनी
दोनों ही आदमी थेऔर दोनों में फ़र्क़ था
जा जाते थेशिकारी
हमारा होनाहम घी के लड्डू नहीं थे
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