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जग में अब भी गूँज रहे हैं
जग में अब भी गूँज रहे हैं गीत हमारे;शौर्य, वीर्य्य, गुण हुए न अब भी हमसे न्यारे।
सियारामशरण गुप्त
मेरे अरमानों का क़ातिल कौन?
ढूँढ़ता फिर रहा हूँ जवाब दर-ब-दरमेरे अरमानों का क़ातिल कौन?
एंजेला एनिमा तिर्की
कौन ऋषिकेश कौन मथुरा
कैसी अद्भुत तल्लीनता तेरे अंदरकैसा अद्भुत रंगराग उद्भासित