परिणाम "एक-पात"
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एक नौजवान लोकल ट्रेन की भीड़ सेधक्कामुक्की कर उतरता है
वह टीला वहीं होगाझड़बेरियाँ उस पर चढ़ जमने की
अपने ही देह सेअनजान परेशान
गालियाँ दोख़ूब कोसो
ये हिंदुस्तान है और ये मार्च का महीना हैऔर एक फ़ैसला आपको करना है
मेरे भीतर अँधेरेतुम्हारे बाहरी सवेरे
क्या हर बार की भाँतिइस बार भी
ये,वासना का अमलतास
चींटियों के पास विशाल देह हैऔर हमसे मज़बूत हड्डियाँ
कल रातदुपहिया से चलते हुए
अज्ञानी के उकसाने परज्ञानी कुछ नहीं कहता
एक दिनहमसे पूछा जाएगा
एक रोज़मैं पढ़ रही होऊँगी
मैं चाँद को ताक कर चला करती थीऔर सब दफ़ा गड्ढे में गिर पड़ती थी
साँझ के झुटपुटे में,जब कि दूर आस्माँ पर एक धुआँ-सा छा रहा था,
सामने है एक खुला दरवाज़ाबाहर जाने को कह रहा
हमेशा सेइतना सब छोड़ती यूँ आई हूँ
एक शौक़ था मुझे :राह बनाते
एक ऐसी खिड़कीज़रूर बनाना घर में
लगता है हर क़दम परबनती हो एक-एक
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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