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जिन्ह को आशा कछु नहीं
जिन्ह को आशा कछु नहीं, आतम राखे शून्य।तिहँ को नहिं कछु भर्मणा, लागे पाप न पून्य॥
संत बाबालाल
का ब्राह्मन का डोम भर
का ब्राह्मन का डोम भर, का जैनी क्रिस्तान।सत्य बात पर जो रहै, सोई जगत महान॥
सुधाकर द्विवेदी
लरिकाईं-ऊषा दुरी
लरिकाईं-ऊषा दुरी, झलक्यौ जोबन-प्रात।छई नई छबि-रबि-प्रभा, बाल-प्रकृति के गात॥
दुलारेलाल भार्गव
नागरी ते आगरी भली
नागरी ते आगरी भली, नागरी सागरी संग।बूँद परा एह सिंधु में, कौन परिखे रंग॥
दरिया (बिहार वाले)
जीव बधन राधन करे
जीव बधन राधन करे, साधन भैरो भूत।जन्म तुम्हारा मृथा है, श्वान सूकर का पूत॥
दरिया (बिहार वाले)
मरना-मरना सब कहे
मरना-मरना सब कहे, मरिगौ बिरला कोय।एक बेरि एह ना मुआ, जो बहुरि ना मरना होय॥
दरिया (बिहार वाले)
माला टोपी भेष नहीं
माला टोपी भेष नहीं, नहीं सोना शृंगार।सदा भाव सतसंग है, जो कोई गहे करार॥
दरिया (बिहार वाले)
भक्ति करे सो सूरमा
भक्ति करे सो सूरमा, तन मन लज्जा खोय।छैल चिकनिया बिसनी, वा से भक्ति ना होय॥
दरिया (बिहार वाले)
सुरति निरति नेता हुआ
सुरति निरति नेता हुआ, मटुकी हुआ शरीर।दया दधि विचारिये, निकलत घृत तब थीर॥
दरिया (बिहार वाले)
दरिया दिल दरपन करो
दरिया दिल दरपन करो, परसत ऐन अनूप।ऐन ऐना में दीसे, देखि बिमल एक रूप॥
दरिया (बिहार वाले)
प्रेम ज्ञान जब उपजे
प्रेम ज्ञान जब उपजे, चले जगत कंह झारी।कहे दरिया सतगुरु मिले, पारख करे सुधारी॥
दरिया (बिहार वाले)
निरखि परखि नीके गुरु कीजे
निरखि परखि नीके गुरु कीजे, बेड़ा बांधु संभारी।कलि के गुरु बड़े प्रपंची, डारि ठगौरी मारी॥
दरिया (बिहार वाले)
सुनि परमित पिय प्रेम की
सुनि परमित पिय प्रेम की, चातक चितवति पारि।घन आशा सब दुख सहै, अंत न याँचै वारि॥
सूरदास
पढ़ि कुरान फाजिल हुआ
पढ़ि कुरान फ़ाज़िल हुआ, हाफ़िज़ की ऐसी बात।सांच बिना मैला हुआ, जीव क़ुरबानी खात।