आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "rajasthani nibandh sangrah saubhagya singh shekhawat ebooks"
Doha के संबंधित परिणाम "rajasthani nibandh sangrah saubhagya singh shekhawat ebooks"
सकल वस्तु संग्रह करै
सकल वस्तु संग्रह करै, आवै कोउ दिन काम।बखत परे पर ना मिलै, माटी खरचे दाम॥
गिरिधारन
सिंह मांहिं है सिंह
सिंह मांहिं है सिंह सौ, स्याल मांहिं पुनि स्याल।जैसी घट उनहार है, सुन्दर तैसौ ख्याल॥
सुंदरदास
मार्यौ सिंह महा बली
मार्यौ सिंह महा बली, मार्यौ ब्याघ्र कराल।सुन्दर सबही घेरि करि, मारी मृग की डाल॥
सुंदरदास
सिंह कूप परि आइ कैं
सिंह कूप परि आइ कैं, देखी अपनी छांहिं।सुन्दर जान्यौ दूसरौ, बूड़ि मुवौ ता मांहिं॥
सुंदरदास
पिक कुहुकै चातक रटै
पिक कुहुकै चातक रटै, प्रगटै दामिनि जोत।पिय बिन यह कारी घटा, प्यारी कैसे होत॥
जसवंत सिंह
जल सूकै पुहमी जरै
जल सूकै पुहमी जरै, निसि यामें कृस होत।ग्रीषम कूँ ढूँढत फिरै, घन लै बिजुरी जोत॥