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माया मोह की फांसी कांटी
माया मोह की फांसी कांटी, तोड़ी बाज जंजीर।धनी मिला परिचय महं, मीता भये फकीर॥
मीतादास
जिहि माया ममता तजी
जिहि माया ममता तजी, सब ते भयो उदास।कह नानक सुनु रे मना, तिइ घटि ब्रहम-निवास॥
गुरु तेग़ बहादुर
माया तजे क्या भया
माया तजे क्या भया, जो मान तजा नहिं जाय।जेहि माने मुनिवर ठगे, सो मान सबन को खाय॥
कबीर
सद्गुरु माया मिहरि करि
सद्गुरु माया मिहरि करि, सुन्दर पाया पूरि।शब्द सुनाया आपना, भरम उडाया दूरि॥
सुंदरदास
हरि माया कृत दोष गुन
हरि माया कृत दोष गुन, दिनु हरि भजन न जाहिं।भजिअ रास सब काम तजि, अस बिचारि मनमाहि॥
तुलसीदास
पीपा माया नारी परहरै
पीपा माया नारी परहरै, चित तूं धरै उतारि।ते नर गोरखनाथ ज्यूँ, अमर भया संसारि॥