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पाया पाया सब कहैं
पाया पाया सब कहैं ,केतक देहुँ दिखाइ।कीमत किनहूँ ना कही, दादू रहु ल्यौ लाइ॥
दादू दयाल
फल पाया तो सुख भया
फल पाया तो सुख भया, किन्ह सूं न करे विवाद।बान न देखे मिरगा, चित्त मिलाया नाद॥
संत तुकाराम
पिया मेरे और मैं पिया की
पिया मेरे और मैं पिया की, कुछ भेद न जानो कोई।जो कुछ होय सो मौज से होई, पिया समरथ करें सोई॥
संत सालिगराम
जिह सिमरत गत पाइये
जिह सिमरत गत पाइये, तिहि भज रे तैं मीत।कह नानक सुन रे मना, अउधि घटति है नीत॥
गुरु तेग़ बहादुर
उसरि बैठि कुकि काग रे
उसरि बैठि कुकि काग रे, जौ बलवीर मिलाय।तौ कंचन के कागरे, पालूं छीर पिलाय॥
रामसहाय दास
पत्रा ही तिथि पाइयै
पत्रा ही तिथि पाइयै, वा घर के चहुँ पास।नित प्रति पून्यौईं रहै, आनन-ओप-उजास॥
बिहारी
संतनि ही तें पाइये
संतनि ही तें पाइये, राम मिलन कौ घाट।सहजैं ही खुलि जात है, सुन्दर हृदय कपाट॥
सुंदरदास
हरि रस पीया जाँणिये
हरि रस पीया जाँणिये, जे कबहूँ न जाइ खुमार।मैमंता घूँमत रहै, नाँहीं तन की सार॥
कबीर
सद्गुरु ही ते पाइये
सद्गुरु ही ते पाइये, राम मिलन की बाट।सुन्दर सब कौ कहत है, कोडा बिना न हाट॥
सुंदरदास
पिय वियोग दावा दही
पिय वियोग दावा दही, रतन काल नागिचाय।निज के दाहें आइ तन, तौं मन अभहुँ सिराय॥
रत्नावली
मोइ दीनो सदेस पिय
मोइ दीनो संदेस पिय, अनुज नंद के हाथ।रतन समुझि जनि पृथक मोइ, जो सुमिरत रघुनाथ॥