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हम जांणयां था आप थे
हम जांणयां था आप थे, दूरि परै है कोइ।सुन्दर जब सद्गुरु मिल्या, सोहं-सोहं होइ॥
सुंदरदास
जो नहिं हाँ ते विकल है
जो नहिं हाँ ते विकल है, भगि जातो अलिजाल।तौ तुव हिय में जानियत, क्यौं चंपा की माल॥
बैरीसाल
जो पै जिय लज्जा नहीं
जो पै जिय लज्जा नहीं, कहा कहौं सौ बार।एकहु अंक न हरि भजे, रे सठ ‘सूर’ गँवार॥
सूरदास
हरख शोक जा के नहीं
हरख शोक जा के नहीं, बैरी मीत समान।कहु नानक सुन रे मना, मुक्ति ताहि तैं जान॥
गुरु तेग़ बहादुर
रैदास हमारौ राम जी
रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं।राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं॥
रैदास
बंदौ श्री सुकदेव जी
बंदौ श्री सुकदेव जी, सब बिधि करो सहाय।हरो सकल जग आपदा, प्रेम-सुधा रस प्याय॥
दयाबाई
हीरों की ओबरी नहीं
हीरों की ओबरी नहीं, मलयागिरि नहिं पाँत।सिंहों के लेहँड़ा नहीं, साधु न चले जमात॥
कबीर
चाह नहीं जिन दरस की
चाह नहीं जिन दरस की, पीर नहीं जिन जीव।पीपा विरह वियौग बिन, कहाँ मिलेंगे पीव॥
संत पीपा
तुका इच्छा मीट नहिं तो
तुका इच्छा मिटी नहिं तो, काहा करे जटा ख़ाक।मथीया गोलाडार दिया तो, नहिं मिले फेर न ताक॥
संत तुकाराम
जो सुख नहिं तू दे सके
जो सुख नहिं तू दे सके, तो दुख काहू मत दे।ऐसी रहनी जो रहे, सोई शब्द रस ले॥
संत सालिगराम
जहाँ पवन की गती नहीं
जहाँ पवन की गती नहीं, रवि शशी उदय न होय।जो फल ब्रह्मा नहीं रच्यो, निपट मांगत सोय॥
निपट निरंजन
जब हम होते तू नहीं
जब हम होते तू नहीं, अब तू है हम नाहीं।जल की लहर जल में रहे जल केवल नाहीं॥