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आप न बैठा गोपि ह्वै
आप न बैठा गोपि ह्वै, सुन्दर सब घट माँहि।करता हरता भोगता, लिखै छिपै कछु नाँहि॥
सुंदरदास
लोक प्रलोक सबै मिलै
लोक प्रलोक सबै मिलै, देव इंद्र हू होइ।सुन्दर दुर्लभ संतजन, क्यों कर पावै कोइ॥
सुंदरदास
ब्रह्मा शिव के लोक लौं
ब्रह्मा शिव के लोक लौं, ह्वै बैकुंठहु वास।सुन्दर और सबै मिलै, दुर्लभ हरि के दास॥
सुंदरदास
राम नाम तिहुं लोक मैं
राम नाम तिहुं लोक मैं, भवसागर की नाव।सद्गुरु खेवट बांह दे, सुंदर बेगो आव॥
सुंदरदास
जै समरथ हैं लोक मैं
जै समरथ हैं लोक मैं, तिनकी मति विपरीति।तजि कै शिव कैलास कों, करत मसान सुप्रीति॥
दीनदयाल गिरि
दुतिया चाँद, मजीठ अँग
दुतिया चाँद, मजीठ अँग, साध बचन प्रतीपाल।पाहण रेख, करम्म गत, ऐ नहिं मिटत जमाल॥
जमाल
अखिल लोक के जीव हैं
अखिल लोक के जीव हैं, जु तिन को जीवन जल।सकल सिद्धि अरु रिद्धि जानि, जीवन जु भक्ति-फल॥
चतुर्भुजदास
ये समीर तिहुँ लोक के
ये समीर तिहुँ लोक के, तुम हौ जीवन दानि।पिय के हिय में लागि के, कब लगिहौ हिय आनि॥
भूपति
लखित टेढ़ी लोक मैं
लखित टेढ़ी लोक मैं, समरथ हूँ की हाल।ओढ़त केहरि खाल हर, तजि कै साल दुसाल॥