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रूवि पयंगा सद्दि मय
रूवि पयंगा सद्दि मय, गय फांसहि णासंति।अलि-उल गंधहि मच्छ रसि, किमि अणुराउ करंति॥
जोइंदु
मारुत सुत, अलि, हंस अरु
मारुत सुत, अलि, हंस अरु, लिख मंदिर रंग स्वेत।चौरँग पौढ़ी चतुर तिय, कह जमाल किहि हेत॥
जमाल
कबीर की साखियाँ (एन.सी. ई.आर.टी)
माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहि।मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं।3।
कबीर
दादू इसक अलह की जाति है
दादू इसक अलह की जाति है, इसक अलह का अंग।इसक अलह औजूद है, इसक अलह का रंग॥