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तुम ताके मन तासु मन
तुम ताके मन तासु मन, बसत विरह की ज्वाल।तुम्हें न बाधत नेक हू, बड़े सयाने लाल॥
बैरीसाल
ताकी पूरी क्यों परे
ताकी पूरी क्यों परे, जाके गुरु न लाखई बाट।ताके बेड़ा बूड़ि हैं, फिरि-फिरि औघट घाट॥
कबीर
तुका मिलना तो भला
तुका मिलना तो भला, मन सूं मन मिल जाय।ऊपर-ऊपर माटी घासनी, उनको को न बराय॥
संत तुकाराम
तुका इच्छा मीट नहिं तो
तुका इच्छा मिटी नहिं तो, काहा करे जटा ख़ाक।मथीया गोलाडार दिया तो, नहिं मिले फेर न ताक॥
संत तुकाराम
तो कारन गृह-सुख तजे
तो कारन गृह-सुख तजे, सह्यो जगत कौ बैर।हमसों तोसों मुरलिया, कौन जनम कौ घैर॥
नागरीदास
सुबरन तकि सुबरन लखै
सुबरन तकि सुबरन लखै, पंकज लखि निज नैन।पेखि कुंभ निरखति कुचनि, पिक-धुनि सुनि मुख-बैन॥
मोहन
जइ ससणेही तो मुइअ
जइ ससणेही तो मुइअ अह जीवइ निन्नेह।विहिं वि पयारेंहिं गइअ धण किं गज्जहिं खल मेह॥
हेमचंद्र
प्राणी तो जिभ्या डिगा
प्राणी तो जिभ्या डिगा, छिन-छिन बोल कुबोल।मन के घाले भरमत फिरे, कालहिं देत हिंडोल॥
कबीर
कहन्ता तो बहुते मिला
कहन्ता तो बहुते मिला, गहन्ता मिला न कोय।सो कहन्ता बहि जान दे, जो न गहन्ता होय॥
कबीर
अंजन दियो तो किरकिरी
अंजन दियो तो किरकिरी, सुरमा दियो न जाय।जिन आँखिन सों हरि लख्यो, रहिमन बलि बलि जाय॥
रहीम
हंसा तो मोती चुगैं
हंसा तो मोती चुगैं, बुगला गार तलाई।हरिजन हरि सूँ यूँ मिल्या, ज्यूँ जल में रस भाई॥