आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ravikant sanmarg darshak granth bhag 1 ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "ravikant sanmarg darshak granth bhag 1 ebooks"
पूर्वकालीन इतिहास ग्रंथ विस्तृत थे
कल्हण
इकाई-I हिंदी भाषा और उसका विकास
हिन्दवी डेस्क
साखी सबद ग्रन्थ पढ़ि
साखी सबद ग्रंथ पढ़ि, सीख करिहैं नर नारि।आपन मन बोधा नाहिं, दर्व हरन के झारि॥
दरिया (बिहार वाले)
भोजपुरी लोकगीत : धनि धनि कवन बाबा, धनि तोरे भाग हे
धनि धनि कवन बाबा, धनि तोरे भाग हे।बाबा लोग उमड़ाव जइहें, हाथी पर सवार हे।।1।।
अन्य परिणाम "ravikant sanmarg darshak granth bhag 1 ebooks"
कवि जिस ग्रंथ की रचना करता है
महात्मा गांधी
भाग सर्वत्र फलत है
हर को मिल्यौ गरल, हरि ने लक्ष्मी पाई।षट् भग हो संपन्न, भाग की कही न जाई॥
गिरिधर कविराय
आवाज़ें-1
अंतोनियो पोर्चिया
भाग जसुधा को, वसुधा का आभरन पूरौ
भाग जसुधा को, वसुधा का आभरन पूरौ,सुधा-पूर, ब्रज-वधू-लोचन-चसक कौ।
कुमारमणि भट्ट
कौड़ी मिलै न भाग बिन
कौड़ी मिले न भाग बिन, सीखो हुनर हज़ार।क्या नर पावै साहिबी, बिना लेख करतार॥