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भोजपुरी लोकगीत : धनि धनि कवन बाबा, धनि तोरे भाग हे
धनि धनि कवन बाबा, धनि तोरे भाग हे।बाबा लोग उमड़ाव जइहें, हाथी पर सवार हे।।1।।
इकाई-I हिंदी भाषा और उसका विकास
हिन्दवी डेस्क
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भाग सर्वत्र फलत है
हर को मिल्यौ गरल, हरि ने लक्ष्मी पाई।षट् भग हो संपन्न, भाग की कही न जाई॥
गिरिधर कविराय
आवाज़ें-1
अंतोनियो पोर्चिया
भाग जसुधा को, वसुधा का आभरन पूरौ
भाग जसुधा को, वसुधा का आभरन पूरौ,सुधा-पूर, ब्रज-वधू-लोचन-चसक कौ।
कुमारमणि भट्ट
कौड़ी मिलै न भाग बिन
कौड़ी मिले न भाग बिन, सीखो हुनर हज़ार।क्या नर पावै साहिबी, बिना लेख करतार॥
दीन दरवेश
हृदय के सड़े हुए भाग का विवरण
हृदय डिंबाशय का सबसे कच्चा, कठोर और संकुचित भाग है।पुरुषों में हृदय अदृश्य डिंबाशय का भाग है।