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नहिं है तेरा कोय, नहीं तू कोय का
नहिं है तेरा कोय, नहीं तू कोय का।स्वार्थ का संसार, बना दिन दोय का।
वाजिद
तू स्पंदन है मेंरे उर का...
तू स्पंदन है मेंरे उर का, तू श्वासों का अनुगुंजन है।आलंबन है तू जीवन का, मैं सीता तू रघुनंदन है॥
ज्ञानराज माणिकप्रभु
धर्म का फल शीघ्र दिखाई न दे तो
वेदव्यास
शब्द हमारा तू शब्द का
शब्द हमारा तू शब्द का, सुनि मति जाहु सरक।जो चाहो निज तत्त्व को, तो शब्दहि लेह परख॥
कबीर
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किसी किश्ती पर
किसी किश्ती पर अगर फ़र्ज़ का मल्लाह न हो तो फिर उसे दरिया में डूब जाने के सिवा और कोई चारा नहीं।
प्रेमचंद
तू धैर्य और स्वाभिमान का अवलंबन कर
वेदव्यास
प्रेम तो हृदय का अहैतुक स्नेह है
मुक्तानंद
गुरु प्यारे का ले तू नाम सम्हार
गुरु प्यारे का ले तू नाम सम्हार।राधास्वामी धाम का बाँध निशाना।
संत शिवदयाल सिंह
भारतीय चिंतन ने न केवल
भारतीय चिंतन ने न केवल विश्वास का अपितु संशय का भी सम्मान किया है।
इंदिरा गांधी
बगैर अनासक्ति के न मनुष्य सत्य का पालन कर सकता
बग़ैर अनासक्ति के न मनुष्य सत्य का पालन कर सकता है, न अहिंसा का।
महात्मा गांधी
तू स्वयं अपना उच्च न्यायालय है
तू स्वयं अपना उच्च न्यायालय है। अपनी रचना का मूल्यांकन केवल तू ही कर सकता है।
अलेक्सांद्र पूश्किन
सर्वव्यापी परमात्मा न किसी का पाप लेता है और न
वेदव्यास
अराजकता का इलाज स्वतंत्रता है न कि दासता, वैसे ही
एडमंड बर्क
मुझमें न भगवान् का प्रेम है
चैतन्य महाप्रभु
हिरणी का छउवा
तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार
तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार।जाकौ मन मिलाइ चित लीजे जासों और बहीये नार॥