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ए तो जाबाला ए बाई थारा
ए तो जाबाला ए बाई थारा, मन में निरख निरधार।कुण थारा साथी कुण थारा बैरी, कुण थारा गोती नाती॥
रानाबाई
इबै तौ मोहिं लागी बाइ
इबै तौ मोहिं लागी बाइ। उन निहचल चित लियो चुराइ॥आन न रुचै और नहीं भावै, अगम अगोचर तहँ मन जाई।
दादू दयाल
बाईशिक्ल हू में बैठे बाई की-सी शक्ल कर
बाईशिक्ल हू में बैठे बाई की-सी शक्ल कर,कर्जन कटाई मूंछ आई ख़ूबसूरती।
शालिग्राम
चाह नहीं जिन दरस की
चाह नहीं जिन दरस की, पीर नहीं जिन जीव।पीपा विरह वियौग बिन, कहाँ मिलेंगे पीव॥
संत पीपा
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प्रेम नेम जिन ना कियो
प्रेम नेम जिन ना कियो, जीतो नाहीं मैन।अलख पुरुष जिन न लख्यो, छार परो तेहि नैन॥
मलूकदास
जिन नहिं समुझ्यौ प्रेम यह
जिन नहिं समुझ्यौ प्रेम यह, तिनसों कौन अलाप॥दादुर हूँ जल में रहैं, जानै न मीन-मिलाप॥
ध्रुवदास
ये बाँसुरिया वारे ऐसो जिन बतरायरे
ये बाँसुरिया वारे ऐसो जिन बतरायरे।यों बोलिये, अरे घर बसे लाजनि दबि गई हायरे।
रसिकबिहारी
जिण बिन रयौ न जाय
जिण बिन रयौ न जाय, हेक घड़ी अळगौ हुवां।दोस करै बिण दाय, रीस न कीजे राजिया॥
कृपाराम खिड़िया
जिन जान्यो वेद, ते तो बाद कै विदित होहु
जिन जान्यौ तपु तीनों तापन सौं तपौ-जिन,पंचागिनी साध्यो ते समाधिन परि मरौ॥
देव
सुन्दर जिन पतिब्रत कियौ
सुन्दर जिन पतिब्रत कियौ, तिनी कीये सब धर्म।जब हिं करै कछु और कृत, तब ही लागै कर्म॥