यदि कोई ग्रीन की तरह राजाओं की लड़ाइयों के इतिहास को न लिखकर जनता के उत्थान और पतन का हाल लिखने बैठ जाए तो वह यह बात अवश्य सिद्ध कर देगा कि हिंदुस्तान में जैसे-जैसे महीन और मुलायम कपड़े का आयात बढ़ता गया वैसे-वैसे हिंदुस्तान के लोगों के शरीरों का गठन ढीला पड़ता गया और उनका मनोबल कम होता गया।