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विनोबा भावे के उद्धरण

यदि चित्त एकाग्र रहेगा, तो फिर सामर्थ्य की कभी कमी न पड़ेगी। साठ वर्ष के बूढ़े होने पर भी किसी नौजवान की तरह तुममें उत्साह और सामर्थ्य दीख पड़ेगी।