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वेदव्यास के उद्धरण

यदि अच्छी तरह से सांत्वना पूर्ण, मधुर एवं स्नेहयुक्त वचन बोला जाए और सदा सब प्रकार से उसी का सेवन किया जाए तो उसके समतुल्य इस जगत में निस्संदेह कुछ नहीं है।