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डोरिस लेसिंग के उद्धरण

वे भावनाएँ कितनी उबाऊ हैं कि जिनमें हम फँस जाते हैं और उनसे मुक्त नहीं हो सकते, चाहे हम कितना भी चाहें…

अनुवाद : सरिता शर्मा