बंकिम चंद्र चटर्जी के उद्धरण

वह स्पर्श फूल का सा था। उस स्पर्श में जूही, जाती, मल्लिका, शेफालिका, कामिनी, गुलाब, सेवती—सब फूलों की सुगंध मुझे उसमें मिली। जान पड़ा, मेरे आसपास फूल हैं, मेरे सिर पर फूल हैं, मेरे पीछे फूल हैं, मैं फूल ही पहने हूँ, मेरे हृदय के भीतर फूलों के ढेर हैं। किस विधवा ने यह पुष्पमय कोमल स्पर्श बनाया था?
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