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गणेश देवी के उद्धरण

उन्नसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में जब उत्तर-मध्य क्षेत्र की तमाम बोलियों ने अपने-आपको उस भाषा के रूप में संगठित किया जिसे आज हम हिंदी कहते हैं, तो इसकी प्रेरणा इन बोलियों को बोलने वालों से नहीं, बल्कि ईस्ट इंडिया कंपनी से मिली थी।

अनुवाद : अवधेश त्रिपाठी