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वेदव्यास के उद्धरण

तर्क की कहीं स्थिति नहीं है, श्रुतियाँ भी भिन्न-भिन्न हैं, एक भी ऋषि नहीं है कि जिसका मत प्रमाण माना जाय तथा धर्म का तत्त्व अत्यंत गूढ़ है, अतः जिससे महापुरुष जाता है वही मार्ग है।