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हरमन हेस के उद्धरण

शुरुआत से ही कोई मासूमियत और कोई एकरूपता नहीं है। हर सृजित वस्तु, यहाँ तक कि सबसे सरल, पहले से ही दोषी है, पहले से ही अनेक है।