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यू. आर. अनंतमूर्ति के उद्धरण

सभी पंथ कालक्रम में मत-संप्रदाय बन जाते हैं। इस तरह सारे दर्शनों का कलुषित होना मानव नियति का लक्षण है।

अनुवाद : नंदकुमार हेगड़े