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महात्मा गांधी के उद्धरण

रोटी-व्यवहार को जो महत्त्व आज दिया जाता है, वह छुआ-छूत-का पोषक ही है। वह संयम के बदले उलटा भोग को उत्तेजना देनेवाला बन गया है।