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भुवनेश्वर के उद्धरण

‘पुरुष स्त्री को समझ ही नहीं सकता’ यह कहना निरर्थक है, क्योंकि उसे समझकर कोई भी पुरुष स्त्री के विषय में मुँह नहीं खोलता।