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वेदव्यास के उद्धरण

प्रतिभाशालिनी बुद्धि बलवान को भी पछाड़ देती है। बुद्धि के द्वारा वर्धमान बल का पालन होता है। बढ़ता हुआ शत्रु भी बुद्धि के द्वारा परास्त होकर कष्ट उठाने लगता है। बुद्धि से सोचकर जो कर्म किया जाता है, वह सर्वोत्तम होता है।