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रघुवीर सहाय के उद्धरण

पीले और बसंती के बीच फ़र्क़ न कर पाना एक तरह की आलोचना है, जो पीला रंग बसंती कहकर बेचने वाले पंसारियों ने हमारे ऊपर थोप दी है।