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फ्रांत्स काफ़्का के उद्धरण

पहले मैं यह नहीं समझ पाया कि आख़िर मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर क्यों नहीं मिला, आज मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि मैंने यह कैसे मान लिया कि मैं पूछने के क़ाबिल भी हूँ। लेकिन मैंने ऐसा माना नहीं, बल्कि सिर्फ़ सवाल किया था।

अनुवाद : आदित्य शुक्ल

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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