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वेदव्यास के उद्धरण

नीच कुल से भी उत्तम स्त्री को ग्रहण कर ले। विष के स्थान से भी अमृत मिले तो उसे पी ले, क्योंकि स्त्रियाँ, रत्न और जल ये धर्मतः दूषणीय नहीं होते।