Font by Mehr Nastaliq Web

रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

मन की चीज़ को बाहर प्रस्फुटित करने के लिए, विशेष प्रकार की सहन-शक्ति आवश्यक होती है। इस प्रकार प्रकृति से मन में और मन से साहित्य में जो प्रतिफलित हो उठता है, वह अनुकरण से बहुत दूर है।

अनुवाद : अमृत राय