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धर्मवीर भारती के उद्धरण

मैं उस मृत्यु की चिंता नहीं करता जो अकस्मात् झटके से सांसों की डोर को तोड़ देगी। मैं उस मृत्यु के बारे में अक्सर सोचता हूँ जो क्षण-क्षण घटित हो रही है, हममें, तुममें, सबमें।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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