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वेदव्यास के उद्धरण

मैं धर्म से भी बल को ही श्रेष्ठ मानता हूँ क्योंकि बल से ही धर्म की प्रवृत्ति होती है। जैसे चलने-फिरने वाले सभी प्राणी पृथ्वी पर ही स्थित हैं, उसी प्रकार धर्म बल पर ही प्रतिष्ठित है।