वासुदेवशरण अग्रवाल के उद्धरण
महाभारत के अंत में अपनी भुजा उठाकर व्यास ने यही सारांश बताया कि धर्म ही अर्थ और काम की जड़ है, धर्म ही नित्य है, उसी का आश्रय लेना चाहिए।
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