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क्षेमेंद्र के उद्धरण

कुल-संबंध अस्थिर है, विद्या सदा ही विवादपूर्ण है, और धन क्षण में ही नष्ट हो जाने वाला है, अत: इन मोहजनक वस्तुओं पर अभिमान मिथ्या ही है।