Font by Mehr Nastaliq Web

गणेश देवी के उद्धरण

किसी कालखंड के बारे में आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि से रहित साहित्य का इतिहास, अपने विषय की आत्मा से पूरी तरह अछूता रह सकता है।

अनुवाद : अवधेश त्रिपाठी