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वेदव्यास के उद्धरण

कामना करने वाले मनुष्य की एक कामना जब पूर्ण हो जाती है तो दूसरी कामना उपस्थित हो जाती है। तृष्णा बाण के समान तीक्ष्ण प्रहार करती है।