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वेदव्यास के उद्धरण

जो परोक्ष में किसी व्यक्ति के दोष ही दोष बताता है, उसके सद्गुणों में भी दोषारोपण करता रहता है और यदि दूसरे लोग उसके गुणों का वर्णन करते हैं तो जो मुँह फेरकर चुप बैठ जाता है वही दुष्ट माना जाता है।