पंडित मदन मोहन मालवीय के उद्धरण

जो देशवासी अपनी मातृभूमि की गुरुता को भली भाँति समझ लें, उनमें धर्मवेद और वर्णवेद रहते हुए भी एकता का अभाव नहीं पाया जाएगा।
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